नेपाल के काठमांडू स्थित विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) में दर्शन करने हर साल बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं। यहां हम नेपाल के इस पशुपतिनाथ मंदिर से जुड़ी विभिन्न बातों पर चर्चा करेंगे।
जानिए पशुपतिनाथजी के बारे में
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू में बागमती नदी के किनारे है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है। काठमांडू घाटी के प्राचीन शासकों के अधिष्ठाता देवता पशुपतिनाथ रहे हैं। कुछ जगह पर यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था। बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण लगभग 11वीं सदी और 17वीं सदी में कराया गया। इसे वर्तमान स्वरूप नरेश भूपलेंद्र मल्ला ने 1697 में प्रदान किया।
अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में पशुपतिनाथ मंदिर के विश्व विरासत स्थल की कुछ बाहरी इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गयी थी जबकि पशुपतिनाथ का मुख्य मंदिर और मंदिर की गर्भगृह को किसी भी प्रकार की हानि नहीं हुई थी।
यह कार्य ना करें
भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की किंवदंती के अनुसार पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे। जो बाद में धरती में समा गए लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया, तथा जहां पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया। पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) को लेकर यह माना जाता है कि जो यहां के दर्शन करता है उसे पशु योनि नहीं मिलती है। लेकिन कहा जाता है कि शिवलिंग के पहले नंदी के दर्शन नहीं करना चाहिए।
पूर्व में भारतीय ब्राह्मण करते थे पूजा
मंदिर में भगवान शिव की सेवा करने के लिए 1747 से ही नेपाल के राजाओं ने भारतीय ब्राह्मणों को आमंत्रित किया था। बाद में ‘माल्ला राजवंश’ के एक राजा ने दक्षिण भारतीय ब्राह्मण को मंदिर का प्रधान पुरोहित नियुक्त कर दिया। दक्षिण भारतीय भट्ट ब्राह्मण ही इस मंदिर के प्रधान पुजारी नियुक्त होते रहे थे। वर्तमान में भारतीय ब्राह्मणों का एकाधिकार खत्म कर नेपाली लोगों को पूजा का दायित्व सौंप दिया गया।
पंचमुखी है भगवान शिव की मूूर्ति
मंदिर में भगवान शिव की एक पांच मुंह वाली मूर्ति है। पशुपतिनाथ (Pashupatinath Temple) विग्रह में चारों दिशाओं में एक मुख और एकमुख ऊपर की ओर है। मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंदल मौजूद है। ये पांचों मुंह अलग-अलग दिशा और गुणों का परिचय देते हैं। यह मंदिर हिंदू और बौद्ध वास्तुकला का उदाहरण है। मुख्य पगोडा शैली का मंदिर सुरक्षित आंगन में स्थित है। इसकी सुरक्षा नेपाल पुलिस करती है। यह मंदिर लगभग 264 हेक्टर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 518 मंदिर और स्मारक शामिल हैं।
Twitter _ https://twitter.com/babapost_c
YouTube_सबस्क्राइब करें यूट्यूब चैनल