Silver Payal : चांदी (Silver) की पायल और बिछिया महिलाओं के शृंगार का महत्वपूर्ण आभूषण है। पायल से महिलाओं के पैरों की खूबसूरती बढ़ती है। वहीं इससे पहनने से सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी का संबंध चंद्र से माना गया है। चांदी सुख समृद्धि का प्रतीक है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चांदी की उत्पत्ति भगवान शंकर के नेत्रों से हुई है। दुनिया के दूसरे देशों में इसे सेहत से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि चांदी के आभूषण पहनने से शारीरिक ऊर्जा नियंत्रित रहती है। आइये यहां जानते हैं चांदी के पायल और बिछिया पहनने से क्या होता है..
चांदी (Silver) प्रतिक्रियाशील धातु होने के कारण शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को फिर से शरीर में लौटा देती है। हमारे शरीर के हाथ और पैर से ज्यादा ऊर्जा निकलती है। इन स्थानों पर चांदी के आभूषण पहनने से वह निकलने वाली ऊर्जा के लिए बाधा का काम करती है और वापस शरीर को लौटा देती है। इसलिए महिलाएं चांदी की पायल और बिछिया पहनती हैं।
इसके अलावा चांदी पृथ्वी (Earth) की ऊर्जा के साथ अच्छी तरह से प्रतिक्रिया (Reaction) करती है। इसके चलते चांदी को पायल या पैर की अंगुली के छल्ले/बिछिया के रूप में धारण किया जाता है।
जीवाणुरोधी भी है चांदी
चांदी (Silver) में जीवाणुरोधी गुण भी पाए जाते हैं। पूर्व काल में जब नाविक लंबी यात्राएं करते थे। इस दौरान वे अपने साथ चांदी के सिक्के रखते थे, जिसे पानी के पात्र में डाल देते थे और इस पानी का सेवन करते थे। चांदी को जीवाणुनाशक माना जाता है। साथ ही माना जाता है कि महिलाएं रसोई में खड़े होकर काम करती हैं, इसके चलते पैर और पीठ में दर्द हो सकता है। ऐसे में चांदी ब्लड सर्कुलेशन को सही करती है। जिससे दर्द में राहत मिलती है।
वास्तु शास्त्र की मानें तो पायल में लगे घुंघुरूओं की आवाज नकारात्मक शक्तियों (Negetivity) से बचाती है। इसके अलावा इससे दैवीय शक्तियां भी सक्रिय होती हैं। जो कि महिलाओं को बुरी नजरों से बचाती हैं।
(नोट – यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई है। इसकी पुष्टि babapost.com नहीं करता है।)